लेखनी कविता - लाल बहादुर शास्त्री - बालस्वरूप राही
लाल बहादुर शास्त्री / बालस्वरूप राही
भारत-माँ के लाल बहादुर
शास्त्री जी तुम कहलाए।
सीधे-सादे छोटे-से थे
काम बड़े कर दिखलाए।
शांति तुम्हें प्यारी थी लेकिन
उससे भी प्यारा थी देश
युद्ध छिड़ा तो दिया तुम्ही ने
बढ़ते जाने का आदेश।
तुम ने जय बोली जवान की
जय किसान की भी बोले।
अच्छी पैदावार न हो तो
काम न कर सकती गोली।